BA Semester-5 Paper-2 Fine Arts - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर समूह
लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2804
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 चित्रकला - भारतीय वास्तुकला का इतिहास-II - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- शाहजहाँकालीन कला के चित्र मुख्यतः किस प्रकार के थे?

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. शाहजहाँ ने किन कलाकारों को आश्रय दिया था ?
2. शाहजहाँ कालीन भवन निर्माण कला कैसी थी?

उत्तर-

मुगल साम्राज्य की राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं कलात्मक परम्परा पीढ़ी दर पीढ़ी चलती रही। बाबर के बाद हुमायूँ, हुमायूँ के बाद अकबर अकबर के बाद जहाँगीर और फिर शाहजहाँ 1628 ई० में राज सिंहासन पर बैठे। जिन्होंने तीस वर्षों तक कुशल प्रशासन किया।

अपने पूर्वजों के समान कलाभिरूचि इन्हें विरासत में मिली थी और इनके पिता सम्राट जहाँगीर के समय के कलाकार भी इनके दरबार में कार्य कर रहे थे। इसलिए कला को प्रचलित धारा अबाध गति से चलती रही परन्तु शाहजहाँ ने जहाँगीर तथा अकबर के सदृश कलाकारों को वह पारखी दृष्टि तथा संहायता नहीं दी जो इनके पूर्वजों ने दी थी।

सम्राट को चित्रकला के प्रति उदासीनता रही अतः जहाँगीर की कलम की बारीकी तथा रंगों में सूफीयानापन नहीं आ सका और समीक्षकों के मत में वह दरबारी वैभव का प्रदर्शन मात्र रह गयी। शाहजहाँ बाल्यकाल से एक कलात्मक परिवेश में रहे। उस समय वह शाही पुस्तकालय में बैठकर चित्रों का अध्ययन करते थे।

शाहजहाँ के आश्रय में जिन कलाकारों ने कार्य किया इनमें से प्रमुख मनोहर, विचित्तिर, गोवर्धन मोहम्मद नादिर होनहार, बालचन्द आदि थे जिन्होंने कुछ विपरीत स्थितियाँ होने पर भी उत्कृष्ट कलाकृतियाँ प्रदान की जिनमें विषयों की विविधता है जैसे दरबारी, संगीत सम्बन्धी, सामाजिक दैनिक ऐतिहासिक व्यक्ति चित्र आदि ।

निरीक्षण एवं निर्देशन हेतु शाहजहाँ ने फकीर उल्लाह खान को अपनी चित्रशाला का प्रधान बनाया हुआ था। मोहम्मद नादिर तथा समरकन्दी ने चित्रण के क्षेत्र में बहुत से प्रयोग किए और काली स्याही से कुछ ऐसे चित्रों को बनाया गया जिसमे रेखांकन की बारीकी विशिष्ट है।

इस चित्रों को स्याह - कलम कहा गया। स्याह कलम चित्रों में कागज पर अस्तर लगाया जाता था जिसमें सरेस या अण्डे की जर्दों को फिटकरी में मिलाकर प्रयुक्त किया जाता था। तत्पश्चात् सधी हुई तूलिका से कलाकार उस पर बारीक रेखांकन करते थे। यह बारीक रेखांकन इतना सूक्ष्म है कि सिर या दाढ़ी आदि का एक-एक बाल दिखाने का प्रयास किया गया है। वैसे तो शाहजहाँ काल की चित्रशैली अकबर एवं जहाँगीर की कला परम्परा को ही आगे बढ़ाती है किन्तु चित्रण की तुलना में इस समय वास्तु कला का अधिक प्रचलन हुआ जिससे अनेक भवनों, महलों उद्यानों मकबरों आदि का निर्माण हुआ।

इन भवनों को इस समय अंकित चित्रों में भी पृष्ठभूमि में देखा जा सकता है। शाहजहों के शासन काल में बने महल आज भी कला की अमर धरोहर के रूप में दर्शको को मंत्रमुग्ध कर रहे हैं।

इनके समय की भवन निर्माण कला उच्चकोटि की है जिसके पार्श्व में मुमताज का अमर प्रेम था। इसके प्रतीक स्वरूप निर्मित ताजमहल आज विश्व के सात आश्चयों में माना जाता है।

इसके अतिरिक्त इन्होंने जामा मस्जिद मोती मस्जिद, लाल किले के दीवाने - आम तथा दीवाने - खास आदि को भी बनवाया।

शाहजहाँ द्वारा निर्मित भवनों तथा महलों में वास्तु कला को उत्कृष्ट शैली दिखायी देती है। इन महलों को बुर्जों तथा मीनारों से शोभायमान किया गया है जिन पर अलंकरणात्मक सज्जा महीन नक्काशी में कलाकार की सिद्धहस्तता निश्चित ही सराहनीय है।

समीक्षकों के विचार में शाह काल में स्थापत्य कला की विशिष्ट पद्धतियों का विकास हुआ जो आज स्थापत्य शिल्पियों के लिए प्रेरणाप्रद है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण ताजमहल के साथ-साथ दिल्ली का लाल किला भी प्रमुख है।

लाल किले की बनावट सहज ही दर्शकों को मंत्रमुग्ध करती है विशेष रूप से दीवान-ए-खास का रूप विन्यास जहाँ मयूर सिंहासन विद्यमान है। इसमें सुसज्जित मणियों, हीरो, पन्नों की कलात्मक शोभा अवर्णनीय है।

अपने पूर्वजों के समान शाहजहाँ को भी शिकार का शौक था। इनके समय में चित्रकारों का यह एक प्रिय विषय था जब भी सम्राट शिकार करने जाते वह अपने सहायकों को उस स्थान के निरीक्षण हेतु प्रेषित कर देते थे और जब तक शाही सदस्यों का समूह सम्राट के साथ उस स्थान पर पहुँचता तब तक वह किसी गाय भैंस या बकरी को वहाँ पर प्रस्तुत कर देते ताकि शेर उसके शिकार हेतु वहाँ पर आ जाए जंगल में उस स्थान को चारों ओर से जाल से ढक दिया जाता था। केवल मात्र उसमें एक द्वार होता था।

जहाँ से सम्राट अपने साथियों के साथ हाथी पर बैठकर अन्दर जा सके। शाहजहाँ नामा से सम्बन्धित चित्र शाहजहाँ हन्टिंग लायन उसी विषय को प्रस्तुत करता है जिसे कलाकार द्वारा प्रत्यक्ष अध्ययन कर चित्रित किया गया।

शाहजहाँ नामा से ही सम्बन्धित एक अन्य चित्र में स्वर्ण मुद्राओं द्वारा सम्राट को तराजू पर तोला जा रहा है। शाही वस्त्रों में सुसज्जित अनेक दरबारियों का चित्रण कारपेट का आलेखन वास्तु को सज्जा स्वर्ण का प्रयोग आदि सभी भव्य वैभव को प्रस्तुत करने में सहायक हैं।

इस काल में खुसरू - शिरोन, लैला-मजनू, रूपमति - वाज बहादुर आदि के प्रेम-प्रसंगों को भी चित्रित किया गया है। इसी संदर्भ में एक प्रमुख चित्र बाज बहादुर एण्ड रूपमति राइडिंग वाई नाइट है जो लगभग 1650 ई० का है।

इस चित्र में सलेटी रंग से एक नदी का चित्रण है जिसके किनारे मध्यभूमि में दो घोड़ों पर अलग-अलग बाज बहादुर और रूपमति सुन्दर वस्त्रों तथा आभूषणों से सुसज्जित दर्शाए गए हैं।

घोड़ों के नीचे का भाग छोटे-छोटे टीलों के पीछे छिपा है । पृष्ठभूमि में वृक्षों के झुंड हैं। सम्भवतः रात्रि का दृश्य है परन्तु घोड़ों वाज बहादुर तथा रानी रूपमति में चटख रंग योजना है क्योंकि यही चित्र का मुख्य विषय है।

इसी के साथ-साथ वस्त्रों तथा आभूषणों में स्वर्ण का प्रयोग भी चित्र में अतिरिक्त चमक उत्पन्न कर रहा है।

...पीछे | आगे....

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पाल शैली पर एक निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  2. प्रश्न- पाल शैली के मूर्तिकला, चित्रकला तथा स्थापत्य कला के बारे में आप क्या जानते है?
  3. प्रश्न- पाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- पाल शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
  5. प्रश्न- अपभ्रंश चित्रकला के नामकरण तथा शैली की पूर्ण विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- पाल चित्र-शैली को संक्षेप में लिखिए।
  7. प्रश्न- बीकानेर स्कूल के बारे में आप क्या जानते हैं?
  8. प्रश्न- बीकानेर चित्रकला शैली किससे संबंधित है?
  9. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताओं की सचित्र व्याख्या कीजिए।
  10. प्रश्न- राजपूत चित्र - शैली पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  11. प्रश्न- बूँदी कोटा स्कूल ऑफ मिनिएचर पेंटिंग क्या है?
  12. प्रश्न- बूँदी शैली के चित्रों की विशेषताएँ लिखिये।
  13. प्रश्न- बूँदी कला पर टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- बूँदी कला का परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- राजस्थानी शैली के विकास क्रम की चर्चा कीजिए।
  16. प्रश्न- राजस्थानी शैली की विषयवस्तु क्या थी?
  17. प्रश्न- राजस्थानी शैली के चित्रों की विशेषताएँ क्या थीं?
  18. प्रश्न- राजस्थानी शैली के प्रमुख बिंदु एवं केन्द्र कौन-से हैं ?
  19. प्रश्न- राजस्थानी उपशैलियाँ कौन-सी हैं ?
  20. प्रश्न- किशनगढ़ शैली पर निबन्धात्मक लेख लिखिए।
  21. प्रश्न- किशनगढ़ शैली के विकास एवं पृष्ठ भूमि के विषय में आप क्या जानते हैं?
  22. प्रश्न- 16वीं से 17वीं सदी के चित्रों में किस शैली का प्रभाव था ?
  23. प्रश्न- जयपुर शैली की विषय-वस्तु बतलाइए।
  24. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- किशनगढ़ चित्रकला का परिचय दीजिए।
  26. प्रश्न- किशनगढ़ शैली की विशेषताएँ संक्षेप में लिखिए।
  27. प्रश्न- मेवाड़ स्कूल ऑफ पेंटिंग पर एक लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मेवाड़ शैली के प्रसिद्ध चित्र कौन से हैं?
  29. प्रश्न- मेवाड़ी चित्रों का मुख्य विषय क्या था?
  30. प्रश्न- मेवाड़ चित्र शैली की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
  31. प्रश्न- मेवाड़ एवं मारवाड़ शैली के मुख्य चित्र कौन-से है?
  32. प्रश्न- अकबर के शासनकाल में चित्रकारी तथा कला की क्या दशा थी?
  33. प्रश्न- जहाँगीर प्रकृति प्रेमी था' इस कथन को सिद्ध करते हुए उत्तर दीजिए।
  34. प्रश्न- शाहजहाँकालीन कला के चित्र मुख्यतः किस प्रकार के थे?
  35. प्रश्न- शाहजहाँ के चित्रों को पाश्चात्य प्रभाव ने किस प्रकार प्रभावित किया?
  36. प्रश्न- जहाँगीर की चित्रकला शैली की विशेषताएँ लिखिए।
  37. प्रश्न- शाहजहाँ कालीन चित्रकला मुगल शैली पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- अकबरकालीन वास्तुकला के विषय में आप क्या जानते है?
  39. प्रश्न- जहाँगीर के चित्रों पर पड़ने वाले पाश्चात्य प्रभाव की चर्चा कीजिए ।
  40. प्रश्न- मुगल शैली के विकास पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अकबर और उसकी चित्रकला के बारे में आप क्या जानते हैं?
  42. प्रश्न- मुगल चित्रकला शैली के सम्बन्ध में संक्षेप में लिखिए।
  43. प्रश्न- जहाँगीर कालीन चित्रों को विशेषताएं बतलाइए।
  44. प्रश्न- अकबरकालीन मुगल शैली की विशेषताएँ क्या थीं?
  45. प्रश्न- बहसोली चित्रों की मुख्य विषय-वस्तु क्या थी?
  46. प्रश्न- बसोहली शैली का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- काँगड़ा की चित्र शैली के बारे में क्या जानते हो? इसकी विषय-वस्तु पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- काँगड़ा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- बहसोली शैली के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  50. प्रश्न- बहसोली शैली के लघु चित्रों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  51. प्रश्न- बसोहली चित्रकला पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  52. प्रश्न- बहसोली शैली की चित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
  53. प्रश्न- कांगड़ा शैली की विषय-वस्तु किस प्रकार कीं थीं?
  54. प्रश्न- गढ़वाल चित्रकला पर निबंधात्मक लेख लिखते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइए।
  55. प्रश्न- गढ़वाल शैली की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की व्याख्या कीजिए ।
  56. प्रश्न- गढ़वाली चित्रकला शैली का विषय विन्यास क्या था ? तथा इसके प्रमुख चित्रकार कौन थे?
  57. प्रश्न- गढ़वाल शैली का उदय किस प्रकार हुआ ?
  58. प्रश्न- गढ़वाल शैली की विशेषताएँ लिखिये।
  59. प्रश्न- तंजावुर के मन्दिरों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  60. प्रश्न- तंजापुर पेंटिंग का परिचय दीजिए।
  61. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग की शैली किस प्रकार की थी?
  62. प्रश्न- तंजावुर कलाकारों का परिचय दीजिए तथा इस शैली पर किसका प्रभाव पड़ा?
  63. प्रश्न- तंजावुर पेंटिंग कहाँ से संबंधित है?
  64. प्रश्न- आधुनिक समय में तंजावुर पेंटिंग का क्या स्वरूप है?
  65. प्रश्न- लघु चित्रकला की तंजावुर शैली पर एक लेख लिखिए।

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book